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मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

स्मृतियों में मानचित्र



उदासी के चौरस्ते पर
आस वाली सड़क की ओर
झिलमिलाता है तुम्हारा रंग
कि इस राह की बजरी ने भी
ओढ़ लिया है तुम्हारा इंतज़ार.

शेष तीन रास्ते खींचते हैं
अनवरत अपनी ओर..
ओढ़ा देते हैं नया आसमान
बिछा देते हैं नयी ज़मीन,
सपनों की नयी सीढ़ियां खोल देते हैं.
पाँव तले आ जाता है क्षितिज
टंग जाते हैं चमकीले सितारे
इच्छाओं के आकाश पर..
प्रलोभन के सारे अवयव
मौजूद होते हैं पूरी तीक्ष्णता में
पर इंतज़ार की आँखें
किसी मंज़िल को नहीं छूतीं .

भले ही तुम न पहुँचो
किसी रास्ते से होकर
इस चौराहे तक..
मार्ग के तुम्हारे अवरोध
अलंघ्य हो जाएँ..
विस्मृत हो जाएँ तुम्हें
संसार के सभी चौराहे..
पर कोई उपेक्षित संवेदी तंतु
अवश्य होगा ऐसा
जो धड़कता होगा प्रतिक्रिया में ..
और तुम्हारी स्मृति के
किसी न किसी कोने में  
छपा ही होगा..
इस ओर आने का मानचित्र .










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