हवाओं पर रख दिए थे
भीगे हुए से कुछ स्वर
और बता दिया था
उसके कानों का पता भी
जैसे पता ही था तुम्हें
कि स्वर का अनुनाद
इतने गहरे निशान छोड़ेगा
कि कालखंडों के बीतने पर भी
ह्रदय पर अंकित रहेंगे
स्वर के जीवाश्म
दरिया के पानियों पर
उसने भी रख दिए थे
प्रतीक्षा के दो आंसू
जैसे मालूम था उसे
दरिया का रास्ता
समंदर तक
और तय करनी थी उसे ही
समन्दर में नमक की सांद्रता
कि इससे ठीक पहले
मीठा था समन्दरों का भी पानी .