कुछ आधी अधूरी बातें
याद के बटुए की
चोर जेब में छिपा लीं ..
छोटे छोटे रुक्के
जो यहाँ वहाँ पड़े थे
आँचल की गिरह से बाँध लिए ..
हथेली पर बार बार
एक ही नाम लिखा
और मिटाया ...
नाखून से कुरेद डाले
वो सारे ज़ख्म भी
जो भर चले थे ...
पलकों को झपकाया भी नहीं
बरसों से रुका हुआ
एक आंसू गिर जाता न ...
कानों में झूलती रहतीं हैं
तुम्हारी आवाज़ की बालियाँ
हाथ बार बार कानों पर जाते हैं
तेरी आवाज़ को छूने ...
उस छोटी संदूकची में
सुर्ख रेशमी कपडे से
बाँध रखे हैं कुछ लम्हे ...
यकीन रखना, उन्हें खोलूंगी नहीं
उड़ कर अगर तुम्हारे पास पहुंचे
तो तकलीफ होगी बहुत ...
ये भी यकीन रखना
कि ये मेरे दुःख का नहीं
खुशी का सामान है
जो सहेजा है .....बड़े जतन से .